किसी जीव द्वारा यौन परिपक्वता की प्राप्ति अभी भी उसके करवा चरण में है, जो कुछ उभयचरों और कीड़ों में देखी जाती है । उदाहरण के लिए, सैलामैंडर की कुछ प्रजातियाँ नपुंसकता प्रदर्शित करती हैं ।
परिभाषा : "प्राणी में लार्वा के लक्षण परिपक्वता के आ जाने के पश्चात् भी बने रहते हैं । ऐसी स्थिति को नियोटेनी कहते हैं ।
या दूसरे शब्दो में कहें तो "वयस्क प्राणी में लार्वा के लक्षण पाया जाना नियोटेनी कहलाता है ।"
नियोटेनी के प्रकार (Types of Neoteny)
यह दो प्रकार की होती है -
1. पूर्ण नियोटेनी - इस प्रकार के नियोतेनी में वह प्राणी आते हैं जिसमें लार्वा में लैंगिक परिपक्वता विकसित हो जाने के बाद भी लार्वा अवस्था के लक्षण पाए जाते हैं । जैसे - गिल दरारें, फॉडल फिन आदि ।
2. आंशिक नियोटेनी - इस प्रकार के नियोटेनी में वह प्राणी आते हैं जिनमें कयांतरण के सामान्य समय में कुछ समय का गतिरोध उत्पन्न होने के पश्चात् पूर्ण होना आंशिक नियोटेनी कहलाता है । यह अवस्था वातावरण के कारकों के प्रभाव पर निर्भर करता है । उदाहरण - हायला आर्बोरिया
नियोटेनी को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Neoteny)
1. तापक्रम (temperature)- यह अनेक प्रयोग से सिद्ध किया जा चुका है की यदि वातावरण का तापक्रम काम होता है तो वह कायान्तरण विधि को प्रभावित करता है । कुछ उभयचर में कायांतरण 4°C - 5°C पर होता है, कुछ पर ठंडे जल में पूर्ण होता है । यदि इनको गर्म जल पर रखा जाता है तो इनके कायांतरण में रुकावट आती है ।
2. हार्मोन्स (hormones)- थायरोक्सिन में 66- 68% आयोडीन की मात्रा पाई जाती है । यह आयोडीन उभयचर प्राणियों में कायांतरण को प्रभावित करती है । यदि आयोडीन की कमी जल में होती है तो लार्वा के कायंतरण में रुकावट आती है । यदि लार्वा के भोजन या जल में आयोडीन मिला दिया जाए या अच्छे आयोडीन वाले जल में लार्वा को रखा जाय तो कायांतरण तेजी से होता है । थायरॉक्सिन हार्मोन्स के स्त्रावित नहीं होने पर भी कायांतरण प्रभावित होता है ।
3. pH - जल का अम्लीय माध्यम कायांतरण को तेज करता है जबकि क्षारीय माध्यम कायांतरण को प्रभावित करता है ।
4. खाद पदार्थ - कार्बनिक नमक, कैल्शियम, नियोटेनी, लिथियम कायांतरण को देर करता है जबकि खाद पदार्थ में विटामिंस की कमी कायांतरण को रोकता है ।
नियोटेनी का महत्व (Significance of Neoteny)
वैज्ञानिक डी - बीयर के अनुसार नियोटेनी विकास की एक सामान्य घटना है । कुछ के अनुसार नियोटेनी अनुकूलन के कारण होती है ।
Weisman के अनुसार यह पूर्वज दशाओं का पलटना है लेकिन अब इसे अद्वितीयक विशेषज्ञता या एक लाभप्रद कार्यकीय अनुकूलन माना जाता है । यह सभी नियोटेनी आपातक्लोम रूपों की अत्यंत विषमता द्वारा भी सिद्ध होता है ।