लाइसोसोम क्या है

 लाइसोसोम क्या है ? 

लाइसोसोम जिसे आत्महत्या की थैली भी कहा जाता है । लाइसोसोम पाचन एंजाइम युक्त एकल झिल्ली या कला वाला थैलीनुमा रचना होता है । यह कोशिका के अंदर कोशिकीय पदार्थों के पाचन का कार्य करता है । यदि ये क्षतिग्रस्त हो जाते हैं तो लाइसोसोम उन्हें मरने का कार्य करता है । लाइसोसोम हमारे कोशिकाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है । 

लाइसोसोम के प्रकार 

1. प्राथमिक लाइसोसम - यह गोलजीकाय के Cisternae से बनते हैं तथा सूक्ष्म थैली जैसे होते हैं । इनमें निष्क्रिय एंजाइम पाए जाते हैं, इसे स्टोरेज granules भी कहते हैं ।

2. द्वितीयक लाइसोसोम - इसको heterophagosomes भी कहते हैं । पिनोसाइटोसिस तथा फैगोसाइटोसिस के द्वारा प्लाज्मा झिल्ली में बनने वाले पिनोसोम तथा phagosome के साथ प्राथमिक लाइसोसोम मिलकर heterophagosome बनते हैं  । इसमें एंजाइम बाहरी पदार्थों का पाचन करते हैं । 

3. अवशिष्ट लाइसोसोम - जब द्वितीयक लाइसोसोम का पचा हुआ पदार्थ कोशिकाद्रव में विसरित हो जाता है तो बिना पचा हुआ पदार्थ वहां शेष रह जाता है इस प्रकार के द्वितीयक लाइसोसोम को ही अवशिष्ट लाइसोसोम कहते हैं ।

4. ऑटोफैगोसोम लाइसोसोम - यह अपनी ही कोशिकाओं। में पाए जाने वाले कोशिकांगों जैसे - माइटोकांड्रिया तथा एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम का पाचन करते समय बनाते हैं । जब कोशिका के अंदर उपस्थित भोज्य पदार्थ तथा सभी कोशीकांग इसके द्वारा पाचित हो जाते हैं तो अंत में यह स्वयं का अपघटन प्रारंभ कर देती है इसलिए इसे स्वभक्षी रिक्तिका या cytolisosome भी कहते हैं । 

लाइसोसोम के कार्य 

  1.  लाइसोसोम की उपस्थिति के कारण फैगोसिटिक कोशिकाएं तथा श्वेत रक्त कणिका मोनोसाइट्स तथा granulocytes अपना कार्य कर पाती है ।
  2. ये पाचन में सहायक होती हैं । मृत कोशिकाओं का पाचन करती हैं ।
  3.  यह बाह्य कोशिकीय पदार्थों का एंडोसाइटोसिस क्रिया द्वारा पाचन करती हैं । 
  4. सड़े हुए कोशीकांग को पचाने का कार्य करता है । 
  5. लाइसोसोम पाचक एंजाइम का अपघटन करता है । 
  6. लाइसोसोम अपशिष्ट पदार्थों को मारने का कार्य करता है।


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